भक्ति का संबंध भव्यता से नहीं दिव्यता से है- स्वामी राधारंग
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रिपोर्ट – सद्दाम हुसैन
देवरिया: (उ0प्र0) देवरिया जिले के विकास खण्ड लार के नदौली ग्राम में चल रहे नौ दिवसीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के चौथे दिन ‘प्रभु प्रेम मिशन’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष यज्ञकर्ता स्वामी राधारंग जी महाराज ने सत्संग के दौरान भक्ति की महिमा बताते हुए कहा कि भक्ति का संबंध भव्यता से नहीं दिव्यता से है। हमारे शास्त्र, विशेष रूप से स्कंद पुराण और हरिभक्ति विलास जैसे ग्रंथ बड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं की प्रत्येक हिंदू का धर्म है कि वह भगवान का महायज्ञ बड़े ही धूमधाम से, श्रद्धा, दिव्यता तथा भव्यता के साथ मनाएं। भव्यता तो धन से निर्मित की जा सकती है, लेकिन दिव्यता धन से निर्मित नहीं हो सकती। दिव्यता का संबंध ‘श्री’ से है और भव्यता का संबंध लक्ष्मी से। अंतर सौंदर्य, अंतर वैभव, अंतर समृद्धि, धर्म से आता है। किन्तु धर्म वह नहीं है जिसके लिए लड़ाईयां होती हैं, इसीलिए ध्यान देना चाहिए जो संघर्ष पैदा करें उसे धर्म नहीं कहते। जगत की सारी भव्यता पदार्थों पर आश्रित है, किंतु दिव्यता की शोभा, अंतर की शोभा से आती है, इसीलिए भगवान की वास्तविक भक्ति, अथवा महायज्ञ का संबंध भव्यता के साथ-साथ दिव्यता से भी होनी चाहिए। हमारे शास्त्र कहते हैं कि दिव्यता की समृद्धि के लिए ही तो भगवान के महायज्ञ मनाए जाते हैं।भव्यता तो संसार से बटोर सकते हैं लेकिन दिव्यता केवल भगवान से ही आती है। इसीलिए शास्त्रों में महायज्ञ की इतनी महिमा बताई गई है। इस अवसर पर विशाल भण्डारे का भी आयोजन किया गया जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। उक्त अवसर पर रविंद्रनाथ तिवारी, प्रियेश नाथ तिवारी, संजय नाथ तिवारी, ओम प्रकाश त्रिपाठी, सुधीर त्रिपाठी, पप्पू बाबा, ग्राम प्रधान रामानंद यादव, कामाख्या तिवारी, वेद प्रकाश उपाध्याय, प्रवीण तिवारी, चंदन सिंह, सिद्ध नाथ तिवारी, प्रशांत त्रिपाठी, विकास तिवारी, विश्वजीत मणि त्रिपाठी, हरिओम गुप्ता, अनील नाथ तिवारी, मोनू पाण्डेय, महेन्द्र पाण्डेय, किशन पाण्डेय, मयंक मिश्र, अंकित पाण्डेय, अमीत तिवारी, दीपक तिवारी, विनोद गुप्ता, आदि भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।